
लघुकथा (Short Story)
कभी रेगिस्तान भी तो समुंद्र रहा होगा। सागर की लहरें वहां भी तो हिलोरें भरती रही होंगी। तभी तो जल की जगह आज रेत की लहरों का सूखा समुंद्र चारों ओर दिखाई देता है। शायद इसीलिए रेगिस्तान में भटकते लोगों को मृगतृष्णा के कारण रेत की लहरें भी सागर की लहरों की मानिंद दिखाई देती हैं।
ऐसे ही रेगिस्तानी इलाके के दूरदराज में बसे पुराने गांवों में से एक गांव था वह। ज्यादातर मिट्टी से बने कच्चे मकान थे। केवल एक ही मकान पक्का था, जो अब देखरेख न हो पाने के कारण जर्जर होता जा रहा था।
दो – तीन कमरों के मकान के दालान में छोटी सी चारदीवारी थी, जिसके बीचों बीच लगे किवाड़ की कुण्डी आधी तो चमकती थी, पर आधी जंग से जंग हार रही थी और बापू की निगाहें उस कुण्डी को अपलक निहारती रहतीं थीं।
दालान में एक अदद पेड़ था, जो अक्सर शान्त ही रहता था और उसी के बगल में एक हैंडपंप था, जिसकी आवाज अब कम ही आती थी।
कभी कोई आहट होती तो किवाड़ पहले ही चीं चीं कर बता देता…..पेड़ की पत्तियाँ हौले से सरसरा जातीं और नल से भी इस आस में पानी की दो बूंदे टपक जातीं कि कोई तो होगा अपना सा। जो भीतर कदम रखेगा और बापू को प्रणाम करके मुस्कुराते हुए अपना मैडल बापू के गले में पहना देगा…..कभी तो वह दिन आएगा।
इस घर के पुरखों ने भी जंगें लड़ीं थीं….बेटे ने भी….जो लगभग बीस साल पहले नई नई वर्दी पहनकर ऊँट की सवारी करता हुआ शान से बार्डर की ओर पहरेदारी करने निकला था….पर लौटा नहीं।
रेगिस्तान में भी नमी न थी और बापू की आंखों में भी सूखे की कोई कमी न थी, जिनमें अब नमी आने की सम्भावना भी न के बराबर ही थी।
मौसम करवट बदल रहा था। रातें ठण्डी होने लगीं थीं। मौसम की मानिंद बापू की आस भी ठण्डी पड़नी शुरू हो गई थी और एक दिन बापू ने फौजी बेटे के आने की आस छोड़ दी। अब कोई आस शेष न बची थी।
आज पहली बार बापू ने स्वयं को बड़ा ही हल्का महसूस किया…क्योंकि भार तो इच्छाओं का ही होता है।
जैसे जैसे शाम ढलती जा रही थी, बापू अवचेतन में समाते जा रहे थे।
आखिरकार अगले जन्म में नई प्रेरणा, नई चेतना और नई ऊर्जा के साथ उन्हें फौजी की वर्दी जो चाहिए थी।।
Lovely and thoughtful
LikeLiked by 1 person
Thanks for appreciation
LikeLike
बहुत सुंदर..
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद
LikeLike
गागर में सागर
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत साधुवाद
LikeLike
👌👌👌👌👌👍👍👍👍
LikeLiked by 1 person
,,😊
LikeLike
This leave a thought that….We should never hope for someone or something its always hurt if that will be in our destiny…God will definetly give to us….Very touching story of that old man…..Enjoyed Sunday😃
LikeLiked by 1 person
Thanks for your beautiful words. This comment will inspire me for creative writing in future.
LikeLike
मनहिं मनोरथ छाड़ दे, तेरा किया न होय।
पानी से घिव नीकसै, तौ रूखा खाय न कोय।।
LikeLiked by 1 person
सत्य वचन
LikeLike
👌👌👌🙏
LikeLiked by 1 person
Thanks
LikeLike
Wow
LikeLiked by 1 person
Thanks
LikeLike
ह्दय स्पर्शी लघुकथा
LikeLiked by 1 person
जी धन्यवाद
LikeLike
भाई जी खूब सुंदर शब्दों में,भाव भरे शब्दों में लिखा है।। 👍🙏🙏
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत साधुवाद दीदी
LikeLike
Bohot Hi achaa…..
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद
LikeLike
“साहस सभी गुणों में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि साहस के बिना, आप किसी भी अन्य गुण का लगातार अभ्यास नहीं कर सकते हैं।”
LikeLiked by 1 person
सच है प्रमोद जी
LikeLike
Beautiful❤
LikeLiked by 1 person
Thanks Sanjay ji
LikeLike
मार्मिक कथा
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद 😊
LikeLike
Very imotional
LikeLiked by 1 person
Thanks
LikeLike
Very touching story
LikeLiked by 1 person
Thanks a lot
LikeLike
Very touching story
LikeLiked by 1 person
Thank you very much
LikeLike
Amazing story 👌👌👌
LikeLiked by 1 person
Thanks Jai 😊
LikeLike
Aap ki gehrai me doobi hui souch ko pranaam🙏🏻🙏🏻💐💐
LikeLiked by 1 person
🙏
LikeLike
Aas kabhi na chhodo
LikeLiked by 1 person