
शादी के बाद जब लड़की का मायका छूटता है तो कैसा एहसास होता है….
इन्हीं एहसासों को दर्शाती एक छोटी सी कविता…
How does one feel when a girl leaves her house after marriage ….
A small poem reflecting these feelings …
अपने माँ बाप को छोड़ के जाना,
इक अजनबी को अपना बनाना,
कैसा एहसास है,
जहां कली खिली और बड़ी हुई,
जिस घर की है चाहत दिल में बसी,
उस अँगने को छोड़ के जाना,
कैसा एहसास है,
जहां कदम कदम पर फूल बिछे,
कांटे कभी दामन छू न सके,
उस बगिया से दूर हो जाना,
कैसा एहसास है,
भईया का चुटिया पकड़ना और सताना,
सखियों संग खिलखिलाना खूब बतियाना,
उस घर को छोड़ के जाना,
कैसा एहसास है,
जहां राखी पर मिलते हैं
प्रेम भरे आश्वासन,
उस भईया की सूनी कलाई को
छोड़ के जाना,
कैसा एहसास है,
जहां पली बढ़ी और बड़ी हुई,
अपने पैरों पे खड़ी हुई,
उसी घर से बिछड़ जाना,
हाय, कैसा एहसास है।
Nice 👌👌👌
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Thanks
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Nice
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Bhai ji shayad koi ladki bhi itne ache shabdo mei bayan nai kar pati.. badiya
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मैं बचपन से ही किसी की भी विदाई देखते ही रो पड़ता हूँ
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आँखे गीली हो गयीं , बहुत सुन्दर रचना
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मन द्रवित हो जाता है इन एहसासों के बारे में सोचकर
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bahut badhiya….
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धन्यवाद
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Heart touching
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Thank you
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Most heart touching post 👌👌👌
Nice 👌👌
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Thank you very much
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घर की याद आ गई…. अपने कमरे की… माँ के हाथ के लाजवाब खाने की…. ehsaas बहुत खूबसूरती से बयान किया है….
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😊😊😊
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Maa jaisa sarye sansaar me koi mamta lutanye wala nahi ho sakta💕💕
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सही है 👵💓
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Apna samay yaad aa gaya
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😊
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