
मेरी इस हास्य कविता का आनंद लीजिए। 😊
मैं सीधा भोला भाला,
आलू था मोटा लाला,
गालें थीं मेरी लालम लाल,
नाम पहाड़ी मस्त थी चाल,
लाड प्यार से बड़ा हुआ था,
ठेले पे मैं खड़ा हुआ था,
ठेला घूम रहा था जब तो,
हाथ बांध मैं अकड़ रहा था,
तभी किसी ने हाथ बढ़ाया,
बड़े प्यार से मुझे उठाया,
मैं तो कुछ भी समझ न पाया,
झोले में झटपट समाया,
नहला धुला के मुझको छीला,
डर से मैं हो गया था पीला,
बड़ी छुरी से मुझको काटा,
तन बदन को ऐसे बांटा,
बोला बगल में रखा आटा,
ले अब कर ले सैर सपाटा,
नाम का ही तो था मैं राजा,
बजा दिया था मेरा बाजा,
खाने से मुझे क्या है लाभ,
निकले तोंद हो जाये जुलाब,
मुझमें भरी है खूब मिठास,
होगी शुगर फूलेगी सांस,
अरे अब तो तुम डर जाओ जी,
मुझको न तुम खाओ जी,
हरी भरी सब्जी भी खाओ,
सेहत स्वस्थ बनाओ जी।
अगर आपको यह हास्य कविता अच्छी लगी है तो please comment और share करें और जिनके छोटे बच्चे हैं, उनसे तो जरूर share करें। Regards
Bahut khoob, aaluji bahut cute hain
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Dhnyawad
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Majedar😄😄
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Thank you 😄😄
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Pyarye aaloo gar tumhye nahi banaye ge to bachhye bhukhye hi so jaye ge…….🤣🤣🤣
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आलू तुम ऐसे ही थोड़ी न राजा कहलाते हो, स्वाद तुम्हारा बड़ा निराला, सबमें फिट हो जाते हो…
🥔🥔
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Nice
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Thanks
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Hahahaha…. Mazedar kavita…. Alloo bina na koi sabzi hume bhati…
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आलू की सब्जी ही तो है, जो सबको है खूब सुहाती..🥔🥔
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Sooo funny 😂😂😂
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Thanks 🥔😀
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Majedar
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Thank you ji
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Jabardast….
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😀😀🥔🥔
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Hahaha…very nice
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😄😄🥔🥔
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Aalu kachalu 😇
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😊🥔
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मुझे आलू ! आलू ! सब कहें, पर मैं सब से तालमेल बिठाता।
जग की भूख मिटाने खातिर,कुर्बान खुद हो जाता।।
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चाहे कुछ भी हो सब्जी, सबके संग फिट हो जाता,
बच्चा हो या बूढ़ा, सबको ही हूँ मैं भाता।
बहुत-बहुत धन्यवाद गौतम सर
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