
ऐ बचपन तू लौट के आ,
जब मिलजुल के सब रहते थे,
अपना भी था परिवार बड़ा,
फूल खुशी के खिलते थे,
न कोई किसी की भाभी थी,
न कोई किसी का देवर था,
न किसी से कोई रंजिश थी,
न किसी के मुख पे तेवर था,
न जीजा थे न साली थी,
न घरवाली मतवाली थी,
दादा दादी की पलकों की,
छांव खूब घनेरी थी,
रोज कथा कहानी सुनते,
पलकों की छांव में रहते थे,
खुशी गमीं के मौकों पर,
रिश्तेदार जो आते थे,
हिस्सा बन कर हम सबका,
परिवार में ही घुल जाते थे,
पापा की आंखों के डर से,
अनुशासन में सब रहते थे,
मम्मी की लाड लडैया में,
छोटे सपने सच होते थे,
भईया दीदी की पकड़ के उंगली,
मेले में घूम के आते थे,
लड़ते भी थे भिड़ते भी थे,
पर अंत में भूल सब जाते थे,
हर शाम मोहल्ले के बच्चों संग,
खूब मस्तियां करते थे,
हर खेल को खेला करते थे,
कपड़े मिट्टी में सनते थे,
न ट्यूशन थी न लेक्चर था,
न ऑनलाइन का चक्कर था,
गाढ़ी लस्सी संग मक्खन था,
शुद्ध घी और शक्कर था,
बहुत याद आती है तेरी,
असली जीवन तो तुझमें था,
ऐ बचपन फिर लौट के आ,
यौवन से तू बढ़कर था।

Nice poem.
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Thanks 😊
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Nice story
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Thanks😊
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Aap ki sunder rachna par kar. Sara bachpan wo sunhrye pal. Sharartyen khel kood sab kuch yaad aa gaya. Aap ka shukriya💐💐💐💐💐💐God bless💕
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🙂🙂🙏🙏
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Nice & beautiful poem. Our childhood days unforgettable.
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Thank you very much Mam 🙂🙏
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जीवन की यादों में सबसे खूबसूरत यादें
बचपन की ही होती हैं ,सुंदर रचना
।
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जी, सच कहा…धन्यवाद 😊🙏💐
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Nice poem
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Thanks 💐🙏
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👌👌👌👌❤️❤️
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🙂💐
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Ha kash bachpan fir laut aaye. Nice poem
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बहुत याद आती है बचपन की
😊😊💐
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बचपन लौटा पचपन में
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👶👼🌝💐💐
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Kash…wo pyara sa bachpan wapis fir lot aye…..bahut yaad ate hai wo din….nice poem👌👌👌👌
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Yeah Simran…It’s true…,बहुत याद आते हैं वह एक एक पल बचपन के👼👶
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Beautiful lines👌🙂🙂
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Thanks 🌝🙏
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बहुत खूबसूरत लिखा है 👌🏼👌🏼
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सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अनिता जी
😊🙏🌹
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Ye daulat bhi lelo,
Ye shohrat bhi lelo,
Bhale chhin lo mujhe se meri jawani.
Magar mujhe ko louta do BACHPAN ka sawan,
Wo kagaj ki kashti,
Wo barish ka pani…..
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Very beautifully sung by
JAGJIT SINGH…
sentiments of CHILDHOOD…
Never could b forgotten…
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True words Sir…🙏
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Nostalgic!
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