
समय यही कोई सुबह के छः बज रहे होंगे। रात भर के उमस से भरे छोटे से टैंट से निकलकर आकाश पास ही बुझे हुए अलाव के पास चला गया, जो रात में ही जलाया गया था।
राख को एक छोटी सी डंडी से हटाकर देखा तो लकड़ी कोयला बन कर अभी भी थोड़ी-थोड़ी सुलग रही थी। हल्की सी चोट से ही सुलगते कोयले से राख झड़ गई और सुर्ख अंगारे दिखने लगे। उन्हीं के साथ खेलते खेलते आकाश अतीत की गहराइयों में समाता चला गया।
उसकी नई नई शादी हुई थी। उसकी पत्नी बरखा अपने नाम के अनुरूप ही जिधर से निकल जाती, सौंधी खुशबू फैला जाती।
बरखा ने अपने मां बाप को कभी एहसास ही ना होने दिया था कि वह लड़का नहीं लड़की है। शुरू से ही उसका मन आकाश की बुलंदियों को छू लेना चाहता था। उसका एडमिशन भी एक बड़े अच्छे से सैनिक स्कूल में हो गया था।
आज बरखा बहुत खुश थी, होती भी क्यों न, पहली बार फाईटर प्लेन जो उड़ा कर आई थी। अब वह अपने मां बाबूजी की ही बेटी न थी। पूरे देश की बेटी थी।
आकाश बचपन से ही नई-नई खोजें करना चाहता था, पर लैब में नहीं। उसका मन तो हरियाली में ही रमता था। तभी तो वह उच्च शिक्षा लेकर डी आर डी ओ में वनस्पति वैज्ञानिक बन गया था और अपनी टीम के साथ देश भर के जंगलों – पहाड़ों पर नित्य नई खोजें किया करता था।
शादी के बाद तो दोनों को जैसे पंख से लग गए थे। दोनों अपने-अपने नाम के अनुरूप ही थे। आकाश का भावुक हृदय बहुत विशाल था और बरखा तो मानो आकाश के लिए ही बनी थी। क्या खूब जोड़ी थी उन दोनों की, दोनों बहुत खुश थे।
आकाश के ऊपर तो जैसे बिजली ही गिर गई हो। मानो करंट ने उसके तन-बदन को झिंझोड़ कर रख दिया हो। खबर थी ही ऐसी, बरखा का फाईटर प्लेन महासागर के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
हजार कोशिशों के बाद भी उसका कोई पता न चल सका था। मानो बेदर्द सागर ने उसकी बरखा को लील लिया हो और वापस लौटाने की कोई गुंजाईश ना हो।
जैसे भादो के महीने में हर पल बदलता मौसम भ्रमित करता रहता है, लगता है अभी बरसेगा और पल में ही धूप निकल आती है। मानो भादो के बादल लुका छुपी कर रहे हों। कुछ ऐसा ही उसके जीवन में भी घटित हो रहा था।
पर आकाश को पूरा भरोसा था कि कभी न कभी सूर्य अपनी रश्मियों से सागर में समाई बरखा को उठा लेगा और वह फिर से उसके सूने जीवन की हरियाली बन कर उसके ऊपर बरस जाएगी।
सहसा अंगारे से उड़कर एक हल्की सी चिंगारी ने आकाश के हाथ पर पड़ कर उसे मानो सोते से जगा दिया हो। सूने मन से अंगड़ाई लेता हुआ वह उठ खड़ा हुआ।
तभी टैंट के भीतर से किसी की हर्ष मिश्रित आवाज आई। आकाश! वायरलैस पे हेडक्वार्टर से संदेश आया है कि विंग कमांडर बरखा की खोज पूरी हो गई है। अब वह स्वस्थ और सुरक्षित हैं और एयरफोर्स वाले उन्हें जल्द लेकर तुम्हारे घर आने वाले हैं।
आकाश की बुझी आंखें फिर से चमक उठीं। मुस्कुराकर सर उठा कर ऊपर देखा तो भादो की काली घटाएं उमड़ घुमड़ कर आ रही थी और इस बार मानों आकाश पर झमाझम बरस कर उन दोनों के नाम को सार्थक बना देना चाहती थीं।